जमुई व दुमदुमा रेलवे अंडरपास में हुआ जलजमाव स्थानीय व राहगीरों के लिए बनीं मौत का कारण उसमें से जाने से डरते हैं लोग पानी भर जाने के बाद

संवाददाता सुनील कुमार कुशवाहा की रिपोर्ट जिओ टीवीTAR टीवी TST न्यूज़

जमुई व दुमदुमा रेलवे अंडरपास में हुआ जलजमाव

स्थानीय व राहगीरों के लिए बनीं मौत का कारण उसमें से जाने से डरते हैं लोग पानी भर जाने के बाद

जमुई – बरसात की पहली बूँदें गिरते ही विकास के खोखले दावों की हकीकत सामने आने लगती है। ऐसा ही एक मामला चुनार क्षेत्र के जमुई व दुमदुमा रेलवे अंडरपास का है, जहाँ बारिश का पानी भर जाने से राहगीरों के लिए यह अंडरपास किसी मुसीबत से कम नहीं है। यहाँ से गुजरने वाले ग्रामीणों और विद्यार्थियों के लिए हर बरसात एक नई चुनौती बन जाती है।

आधुनिक युग, आदिमकाल जैसी समस्या

कहते हैं, “आधुनिक समस्याओं के लिए आधुनिक समाधान चाहिए,” लेकिन जमुई व दुमदुमा के इस अंडरपास में तो यह कहावत भी उलटी पड़ गई है। रेलवे विभाग द्वारा लाखों-करोड़ों रुपये खर्च करके बनाए गए इस अंडरपास की हालत देखकर लगता है कि यह किसी वैज्ञानिक मेकैनिज्म का नहीं, बल्कि प्राचीन आदिमकाल का नमूना है। बरसात के पानी का सही निकासी न होने से यह अंडरपास एक तालाब में तब्दील हो चुका है, और राहगीर जैसे ही यहां से गुजरने का प्रयास करते हैं, उनके लिए यह किसी चुनौती से कम नहीं होता।

अंडरपास में जलजमाव, विकास या विफलता

बरसात के मौसम में दुमदुमा रेलवे अंडरपास में पानी भर जाता है, जिससे आसपास के गाँवों के लोग और विद्यार्थी गंभीर परेशानी का सामना कर रहे हैं। यह अंडरपास शहर से गाँवों को जोड़ने वाला महत्वपूर्ण मार्ग है, लेकिन जलजमाव के कारण यहाँ से गुजरना एक दुष्कर कार्य बन गया है। क्या यही है आधुनिकता और विकास का मापदंड?

घटिया निर्माण का परिणाम

सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर विकास के बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयाँ करती है। ठेकेदारों द्वारा किए गए घटिया निर्माण का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है। यह कहना गलत नहीं होगा कि “ऊँची दुकान, फीका पकवान” की कहावत यहाँ पूरी तरह फिट बैठती है।

आधुनिक युग में पुरानी समस्याएँ

हम एक ऐसे युग में जी रहे हैं जहाँ हर चीज के लिए आधुनिक तकनीक उपलब्ध है। बावजूद इसके, पानी निकासी जैसी बुनियादी समस्याओं का समाधान नहीं हो पाना एक गंभीर चिंता का विषय है। क्या यह आधुनिक युग की विफलता नहीं है कि करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी जनता को बुनियादी सुविधाओं से महरूम रखा जा रहा है?

जिम्मेदारों की नाकामी

जिले के जिम्मेदार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता का यह एक और उदाहरण है। यदि अंडरपास में जलजमाव जैसी समस्याओं का समाधान नहीं किया जा सकता, तो विकास के दावों का क्या मतलब रह जाता है? “हाथी के दाँत दिखाने के और, खाने के और” वाली स्थिति यहाँ साफ नजर आती है।

जनता की आवाज, जलजमाव से निजात की माँग

ग्रामीणों और विद्यार्थियों ने रेलवे विभाग से अपील की है कि अंडरपास में जलजमाव की समस्या का जल्द से जल्द समाधान किया जाए। यह मांग वाजिब भी है, क्योंकि बुनियादी सुविधाओं के बिना विकास का कोई अर्थ नहीं रह जाता।
बरसात में दुमदुमा रेलवे अंडरपास का जलजमाव इस बात का जीता-जागता उदाहरण है कि विकास के नाम पर किस तरह सरकारी नियमों और जनता की उम्मीदों का मजाक बनाया जा रहा है। यह समय है कि जिम्मेदार अधिकारी और विभाग इस समस्या का समाधान करें और यह सुनिश्चित करें कि विकास के दावों की हकीकत केवल कागजों तक सीमित न रहे।
विकास का मतलब सिर्फ बड़ी-बड़ी योजनाएँ बनाना नहीं है, बल्कि उन योजनाओं का सही तरीके से क्रियान्वयन करना भी है। जब तक बुनियादी समस्याओं का समाधान नहीं होगा, तब तक विकास के दावे खोखले ही साबित होंगे।

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