
पीताम्बर ईंट भट्टा बना मिनी शराब ठेका,कुटीर उद्योग जैसे पनप रहा कच्चे शराब का धंधा
चुनार पुलिस की शह पर चल रहा जानलेवा अवैध कारोबार
चुनार,मिर्जापुर। स्थानीय क्षेत्र में कच्ची शराब का धंधा कुटीर उद्योग का रूप ले चुका है। सूत्रों के मुताबिक चुनार थाना क्षेत्र में स्थित पीताम्बर ईंट भट्टे पर मिनी ठेका का रूप ले चुका है। पीताम्बर ईंट भट्टे के लोग कच्ची दारू के अवैध धंधे से काफी समय से लिप्त हैं। विगत वर्षों में कई लोगों को कच्ची शराब के कारण असमय अपनी जान से खिलवाड़ कर रहे है।गरीबी व अशिक्षा से जूझ रहे कई परिवारों के सदस्य अपने परिजनों को खोने के बाद भी अब भी अवैध कारोबार में लिप्त हैं। पुलिस व आबकारी विभाग की कार्रवाई कागजी कोरमपूर्ति तक सिमटी दिखाई देती है। कच्ची शराब कारोबार के न बंद होने पर विभागों पर मिलीभगत दिखाई दे रहा है।
पीताम्बर ईंट भट्टे पर बन रही कच्ची शराब आस पास के क्षेत्रों के लोगों के पास आसानी से पहुंचती है। नाम न छापने की शर्त पर एक कारोबारी ने बताया कि एक भट्ठी पर प्रतिदिन खपत 5 किलो महुआ 5 किलो गुड़, दो किलो फिटकिरी तथा लगभग 10 किलो लकड़ी खर्च होती है। जिसपर लगभग एक हजार रूपये खर्च आता है। एक भट्ठी से प्रतिदिन 20 किलो फुल्ली दारू तैयार हो जाती है। इस तरह एक भट्ठी से पांच हजार रुपये तक मिल जाता है।
शराब बनाने के लिए लोहे के ड्रम में गुड को पानी में उबाला जाता है। ड्रम के मुंह पर एक ढक्कन रखकर पानी भरते हैं और उसमें एक नली के जरिए भाप बनकर जो पानी बाहर आता है, वही कच्ची शराब होती है। इसे ज्यादा नशीली बनाने के लिए इसमें स्प्रिट मिलाई जाती है। कई बार इसका फार्मूला बिगड़ने से यह जहरीली भी हो जाती है।
यहां यह धंधा बंद इसलिए नहीं होता कि कच्ची शराब की बोतल यहां 60 से 80 रुपए में मिल जाती है। जबकि ठेके पर इसकी कीमत इससे डेढ़-दो गुना ज्यादा होती है। यहां कुछ लोग बाहर से रैपर, ढक्कन और खाली बोतल लाकर नकली शराब बनाकर सरकारी ठेकों की आड़ में बेचते हैं।