वोट के खातिर भटक रहे हैं घर-घर नेता और नेताईन! नेता और नेताईन के कार्यकर्ता उछल कूद मचाए हुए हैं जनता मुस्कुरा कर सब देख रही नौटंकी

संवाददाता सुनील कुमार कुशवाहा की रिपोर्ट

वोट के खातिर भटक रहे हैं घर-घर नेता और नेताईन! नेता और नेताईन के कार्यकर्ता उछल कूद मचाए हुए हैं जनता मुस्कुरा कर सब देख रही नौटंकी

मिर्जापुर। वर्तमान लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सभी वैध प्रत्याशी वोट की खातिर घर घर भटक रहे हैं। जिसमें की नेताजी से लेकर नेताइन व उनके समर्थकों की फौज। वह हर संभव कोशिश कर गली-गली तक पहुंचने की कोसीस कर रही है। उनके बयान भाषण वह कोरा आश्वासन पब्लिक देखकर मुश्की काट रही है। कि अब फस गए हैं नेताजी वोट की खातिर कौन-कौन कर्म करते हैं , और जनता इतनी जागरूक्क हो चुकी है कि अब वह किसी छलावे में नहीं आने वाली है। वह अपना निर्णय अपने विवेक से ही लेगी
प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्तमान लोकसभा चुनाव के मद्देनजर नामांकन वापसी और पर्चा जांच के बाद अंतिम रूप से प्रत्याशी मैदान में आ चुके हैं ।जिनकी लड़ाई एक दूसरे से जोरों पर चल रही है। नेता दर-दर भटक रहे हैं और नेताईन घर-घर झाँक करके वोट माँग रही और गलवानिया कर रही हैं ।जिससे कि मतदाता और गांव की महिलाएं मुशकी मार रही हैं कि अब आया है ऊंट पहाड़ के नीचे ।इसके बाद तो नेता और नेताइन का तो पता ही नहीं चलना है। भाषण कोरा आश्वासन जुमला बाजी से अब जनता भी पक चुकी है और उनको भी सबक सिखाने के लिए आर पार के लिए कमर कस चुकी है। जनता उनकी हर हरकत को देखकर मुस्की काट रही है और जनता कहरही है कि अब हमें मौका मिला अब हम सबको सिखाएंगे नेताजी वोट पाने के बाद लखनऊ दिल्ली गोवा और विदेश की सैर में लग जाते हैं। जनता अपने योजनाओं को जानने को परेशान रहती है। इन लोगों से यदि कभी कभार मिलना हो तो इनके प्रतिनिधि ही बात करके बाहर कर टरका देते हैं और यदि उनके कार्यालय लखनऊ दिल्ली जाइए तो वहां मिलने ही नहीं दिया जाता है । जनता को चलाई जा रही योजनाओं ग्राम स्तर की क्षेत्र स्तर की विकास स्तर की पूरी योजना की जानकारी भी नहीं है। वह सब कार्रवाई केवल रजिस्टर करके दफन कर दी जाती है। वृद्धा महिलाएं विधवा महिलाएं अपने छोटे-छोटे कार्य व पेंशन इत्यादि के लिए पीएम किसान के लिए दौड़ते दौड़ते थक जाते हैं ।उनका समाधान करने वाला कोई नहीं होता है। ग्राम प्रधान विकासखंड को विकासखंड तहसील को तहसील जिला को कह कर टाल देते हैं। मुख्यमंत्री पोर्टल भी झुनझुना ही साबित हो रहा है जिसकी शिकायत कईं कई बार महिलाओं ने कर चुकी है ।उसे पर दर्ज शिकायत करोड़ों में है। लेकिन निस्तारण योगी जी के कहने के बावजूद भी अभी तक जनता के हित में नहीं हो सका है। जिससे जनता में आक्रोश भरा हुआ है और जनता भी अपनी आर पार व हिसाब करने की मूड में है । प्रत्याशी भले ही अपने छलावे वाले भाषण से मानने की जनता हमें वोट देगी। लेकिन जनता का समीकरण इतना कठिन और गंभीर होता जा रहा है। दिनों दिन जनता को नेताजी और नेताईन को समझ ना संभव नहीं है । वोट किस तरफ करवट लेता है यह 1 जून की अंतिम वोटिंग के बाद 4 जून को होने वाली मतगणना के बाद ही पता चल पाएगा।

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