गंगा को बांधा रक्षा सूत्र, करेंगे गंगा की रक्षा “
” काशी के गंगा तट से भारतीय संस्कृति की रक्षा का आवाह्न “
” सावन के अंतिम सोमवार को नमामि गंगे के साथ श्रद्धालुओं ने भी की गंगा तट की सफाई “
” पॉलीथिन का बहिष्कार करने हेतु नमामि गंगे ने बांटे कपड़े के झोले “
शुभ भावनाओं व शुभ संकल्पों के साथ नमामि गंगे ने रक्षाबंधन के पावन अवसर पर फूलों से गुथा वैदिक रक्षासूत्र पतित पावनी मां गंगा को समर्पित करके सदानीरा की रक्षा का संकल्प लिया। भगवान शिव का पूजन कर भारतीय संस्कृति की रक्षा का आवाह्न किया गया। सावन के अंतिम सोमवार को दशाश्वमेध घाट पर हजारों श्रद्धालुओं ने पर्यावरण संरक्षण की शपथ ली । प्रकृति की रक्षा के आवाह्न के बीच नमामि गंगे के स्वयंसेवकों के साथ श्रद्धालुओं ने भी गंगा तट की सफाई की । पर्यावरण के लिए हानिकारक पॉलीथिन का उपयोग न करने का संदेश देकर नमामि गंगे की ओर से गंगा तट पर मौजूद श्रद्धालुओं को कपड़े के झोले प्रदान किए गए । नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला ने कहा कि पर्यावरण की रक्षा से हम सब की रक्षा संभव है। इस त्योहार का महत्व बहन द्वारा भाई की कलाई पर राखी बांधना ही नहीं है, बल्कि इसे ऐतिहासिक स्वरूप में समझते हुए देश, समाज, पर्यावरण, संस्कृति, सभ्यता, गोमाता व गंगा माता के संरक्षण के संकल्प के त्योहार के रूप में भी मनाया जाना चाहिए। आयोजन में प्रमुख रूप से नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला, रमन शास्त्री, घनश्याम प्रसाद, आदित्य जायसवाल व बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
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