
नए कानून का उद्देश्य पीड़ित को न्याय दिलाना- अपर पुलिस अधीक्षक ने इसके विषय में दी जानकारी
चुनार मिर्जापुर । बालू घाट गंगा जी के तट स्थित क्रूज पर भारतीय दंड संहिता, भारतीय सुरक्षा संहिता की धाराओं की लोगों को जानकारी के लिए एक बैठक का आयोजन शनिवार को एडिशन एसपी मनीष कुमार मिश्रा की अध्यक्षता में आहुत की गई। वैठक मे उपस्थिति उपजिलाधिकारी चुनार राजेश कुमार क्षेत्राधिकारी मंजरी राव अधिवक्ता शीतला प्रसाद यादव एड0 प्रकाश डालते हुए लोगों तीन कानून के बारे जानकारी दी। इस अवसर पर एडिशन एसपी मनीष कुमार मिश्र ने बताया कि 1947 में जब देश आजाद हुआ तो पहले भी कानून लागू था। यानि कि आजादी के पहले से ही लागू था पहले जो कानून लागू था क्रमशः भारतीय दण्ड संहिता (आईपीसी) और दंड प्रक्रिया संहिता ( सीआरपीसी) एवं भारतीय साक्ष्य अधिनियम अंग्रेजो द्वारा दण्ड प्रक्रिया को क्रियान्वित करने के लिए बनाई गई थी। इसलिए तीनों कानूनों में सुधार पर चर्चा समय समय पर होती रहती थी चूकि दण्ड संहिता का विधान अंग्रेज शासक के द्वारा शासित किया गया था अर्थात भारतीयों को शासित करने के लिए बनाया गया था और इन कानूनों का मूल उद्देश्य दण्ड विधान होता है न कि न्याय विधान। वर्तमान समय में लागू किया गया तीन कानून की मूल आत्मा दण्ड केन्द्रित न होकर न्याय केन्द्रित है इसलिए भारतीय दण्ड संहिता का नाम बदलकर भारतीय न्याय संहिता व भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता किया गया है। भारतीय न्याय संहिता की रचना भारत की न्यायिक ब्यवस्था को आधुनिक, सामाजिक आवश्यकताओं के अनुरूप बनाने के लिए एक ब्यापक आपराधिक कानून सुधार के रुप में की गई है तथा मानवाधिकार केन्द्रित करना, त्वरित न्याय दिलाना एवं साइबर अपराध वित्तीय धोखाधड़ी व डिजिटल उत्पीड़न जैसे अपराधों से निपटना है जिसका आइपीसी में पर्याप्त रुप से रक्षोपाय शामिल नहीं था। इस अवसर पर सभासद विकास कश्यप, अवनीष राय, मंत्री यादव, करतार सिंह,कस्बा चौकी प्रभारी अखिलेश कुमार यादव,हेड कांस्टेबल मिथिलेश यादव,विनय यादव,राजेंद्र मौर्या,संतोष कुमार,नगर पालिका क्षेत्र के सफाई कर्मी नाविक सहित अन्य लोग मौजूद रहे।